Kaal Bhairav Jayanti Puja Vidhi 2024: कालभैरव जयंती हर साल मार्गशीर्ष मास की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव का एक अवतार कालभैरव का जन्म हुआ था। इस साल, 22 नवंबर, 2024 को यह शुभ दिन है।
Kaal Bhairav Jayanti के लिए प्रमुख बातें
- कालभैरव जयंती 2024 इस साल 22 नवंबर को मनाई जा रही है।
- कालभैरव को भगवान शिव का पांचवा अवतार माना जाता है।
- कालभैरव पूजा से भक्तों को मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।
- इस दिन विशेष पूजा-अर्चना से आध्यात्मिक जागरण होता है।
- शिव पूजा के साथ कालभैरव की पूजा भी महत्वपूर्ण है।
Kaal Bhairav Jayanti का महत्व और स्वरूप
काल भैरव को भय दूर करने वाला माना जाता है। वे भगवान शिव के एक उग्र रूप हैं। उनके दो रूप हैं – बटुक भैरव और काल भैरव।
बटुक भैरव भक्तों को सुरक्षा देते हैं। काल भैरव को दंडनायक कहा जाता है। उनकी शक्ति का नाम है भैरवी गिरिजा, जो भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती है।
Kaal Bhairav Jayanti का रौद्र रूप
काल भैरव का रूप बहुत भयंकर है। उनका चेहरा काला और डरावना है। उनकी दाढ़ी गनीमत और दृष्टि भयानक है।
उनके ज़ुल्फ़ें लंबे होते हैं। उनके हाथों में त्रिशूल, खड्ग और घंटा होते हैं। उनका वाहन श्वान है।
शिव जी का पांचवा अवतार
काल भैरव को भगवान शिव का पांचवां अवतार माना जाता है। वे समस्त अनर्थों का नाश कर सकते हैं। उनका उद्देश्य भक्तों को भय और दुख से मुक्त करना है।
भक्तों के लिए विशेष महत्व
Kaal Bhairav Jayanti पर पूजा करने से पापों का नाश होता है। इस दिन उनकी विशिष्ट पूजा से मृत्यु का भय खत्म हो जाता है।
कालभैरव के दिन व्रत करके पूजा करने से भक्तों को विशेष कृपा मिलती है। इससे जीवन से सभी भय और दुख दूर हो जाते हैं।
Kaal Bhairav Jayanti 2024 का शुभ मुहूर्त
Kaal Bhairav Jayanti हर साल कार्तिक माह की अष्टमी को मनाई जाती है। यह वर्ष 2024 में 22 नवंबर को है। इस दिन की पूजा शाम 6:07 बजे से शुरू होती है और रात 7:56 बजे तक जारी रहती है।
कालभैरव को समय, मृत्यु और संरक्षण से जोड़ा जाता है। उनकी पूजा नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने के लिए की जाती है।
Kaal Bhairav Jayanti बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन पूजा और समर्पण से संसार में संतुलन और न्याय स्थापित होता है।
कालभैरव को भूत संघ के स्वामी के रूप में पूजा जाती है। वे परम शक्ति, कुंठित गुस्सा और न्याय के प्रतीक हैं।
कालभैरव जयंती 2024 में शुभ योग हैं। इस दिन ब्रह्म योग सुबह 11:34 बजे तक रहेगा। फिर इंद्र योग बनेगा।
बव और बालव करण योग भी है। शाम के समय लाभ-उन्नति मुहूर्त रात 8:46 बजे से 10:27 बजे तक है।
Kaal Bhairav Jayanti 2024 की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:07 बजे से शुरू होकर रात 11:41 बजे से 12:34 बजे तक निशिता काल मुहूर्त में है।
कालभैरव बाबा को चढ़ाने के लिए लोग हलवा, दूध, काली चना, मीठा रोटी और शराब देते हैं। उनकी पूजा में कालाजीरा और चमेली के फूल बहुत महत्वपूर्ण हैं।
“Kaal Bhairav Jayanti पर पूजा और समर्पण के माध्यम से संतुलन और न्याय स्थापित किया जाता है।”
Kaal Bhairav Jayanti Puja Vidhi 2024
Kaal Bhairav Jayanti बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन, लोग तांत्रिक अनुष्ठान और रहस्यमय प्रथाएं करते हैं। यह आध्यात्मिक जागरण को बढ़ावा देता है।
2024 में Kaal Bhairav Jayanti का शुभ संयोग है। इसे जानने से पूजा करना फायदेमंद होगा।
Kaal Bhairav Jayanti पूजा की तैयारी
सुबह स्नान करने के बाद व्रत संकल्प लेना शुभ है। इसके बाद, कालभैरव पूजा की तैयारी शुरू होती है।
पूजन सामग्री
- चौमुखी दीपक
- विभिन्न प्रकार के फूल
- उड़द दाल
- पान
- नारियल
- जलेबी
विधिवत पूजा के चरण
- मंदिर या पूजा स्थल पर जाएं।
- चौमुखी दीपक जलाएं।
- फूल अर्पित करें।
- भोग लगाएं, जिसमें जलेबी, नारियल और उड़द दाल शामिल हैं।
- भैरव चालीसा का पाठ करें।
- आरती करके पूजा का समापन करें।
इस दिन, जरूरतमंदों को कंबल दान करना और काले कुत्ते को रोटी खिलाना भी शुभ है।
“Kaal Bhairav Jayanti पूजा से भय और संकट दूर होते हैं। यह तांत्रिक अनुष्ठानआध्यात्मिक जागरण को बढ़ावा देता है।”
कालभैरव को प्रिय भोग और अर्पण
काल भैरव पूजा में तांत्रिक रीति-रिवाज बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन, लोग कालभैरव को विभिन्न भोग और अर्पण करते हैं। यह उनकी आध्यात्मिक उन्नति और गुप्त साधना में मदद करता है।
सरसों का तेल, मदिरा, नारियल, नींबू, काले तिल, उड़द और काले वस्त्र कालभैरव को बहुत पसंद हैं। जयंती पर इन चीजों का दान करने से कई फायदे होते हैं। यह शत्रु बाधाएं दूर करता है, आर्थिक संकट दूर करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
FAQ? Kaal Bhairav Jayanti Puja Vidhi 2024
Q: क्या Kaal Bhairav Jayanti कब मनाई जाती है?
A: Kaal Bhairav Jayanti मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती है। इस साल, यह 22 नवंबर, 2024 को होगी।
Q: कालभैरव का क्या महत्व है?
A: कालभैरव शिव का पांचवा रूप माने जाते हैं। वे भय दूर करने वाले देवता हैं। उनके दो रूप हैं: बटुक भैरव और काल भैरव।
बटुक भैरव भक्तों को सुरक्षित रखते हैं। काल भैरव, दूसरी ओर, दंडनायक के रूप में जाने जाते हैं।
Q: कालभैरव जयंती पर क्या शुभ योग बन रहे हैं?
A: इस जयंती पर कई शुभ योग होंगे। ब्रह्म योग, इंद्र योग, बव और बालव करण योग बन रहे हैं।
पूजा का शुभ समय शाम 6:07 से शुरू होगा। रात 11:41 से 12:34 तक निशिता काल है।
लाभ-उन्नति मुहूर्त रात 8:46 से 10:27 तक है।
Q: कालभैरव पूजा की विधि क्या है?
A: पूजा शुरू करने से पहले स्नान करें और व्रत संकल्प करें। चौमुखी दीपक, फूल, उड़द, पान, नारियल और जलेबी की आवश्यकता होगी।
पूजा के चरण: मंदिर जाएं, दीपक जलाएं, फूल अर्पित करें, भोग लगाएं। भैरव चालीसा का पाठ करें और आरती करें।
जरूरतमंदों को कंबल दान करें और काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।
Q: कालभैरव को कौन-कौन से भोग और अर्पण प्रिय हैं?
A: कालभैरव को सरसों का तेल, मदिरा, नारियल, नींबू, काले तिल, उड़द और काले वस्त्र पसंद हैं।
जयंती पर इन चीजों का दान करें। सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काले कुत्तों को भोजन कराएं।